खड़ा रहा वहां पे जब तक यह लोग तड़प तड़प के मरे!
यह औरत झूठ तो नहीं बोल रही। जो लोग एक परमेश्वर को मानते हैं और मासूमों से प्रेम की भावना रखते हैं उनके समाज में यह जाहिल आतंकी कैसे पैदा हो गया? उसने पहलगाम के निहत्ते बेगुनाह इन्सानों से कहा, "हिन्दू सब एक तरफ हो जाइए और मुसलमान दूसरी तरफ। फिर उसने हिंदू मर्दों से विनम्रता से बिनती की कि अपनी जान बचाने के लिए वह अल्लाह मियां से तनिक दुआ करलें। मगर हिंदुओं को न राहुल ने सिखाया न प्रियंका ने की यह नमाज कैसे पढ़ी जाती है। नहीं तो इतने लोग मरने से बच जाते। अल्लाह मियां जरूर उनको बख्श ही देते। जब उनको दुआ नहीं आई तो आतंकी ने गोलियां बरसादी। खड़ा रहा वहां पे जब तक वह लोग तड़प तड़प के न मरे! इंसानियत की भी दात देनी पड़ेगी।
क्या कहें? यह है नया हिंदुस्तान, सेकुलर इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ इंडिया। मारने वाले कौन थे? अच्छे मसलमान या आतंकवादी। कहते हैं आतंक का कोई धर्म नहीं होता, तो फिर मरने वाले का धर्म क्यों पूछा गया? कहा मोदीजी को बोल देना हम ने तुम्हारे पति के साथ क्या किया। मोदीजी को ही क्यों बोलना था और कोई नेता नहीं था क्या आतंकी का दुश्मन? भारत सरकार का धर्म कौनसा है? कहते हैं मोदी सरकार आतंकी हमला रोकने में नाकाम रही। क्या भारत सरकार की एक मात्र चूक बड़ी समस्या है या फिर धर्म के नाम पर हो रहे निरंतर नरसंहार जो आतंकियों द्वारा हो रहे हैं? ड्रामेबाजी बंद करो और सच का इजहार करो।
मारा भी मुसलमानों ने ही था, बचाने की कोशिश भी एक मुसलमान ने ही की थी। उस एक मुसलमान का ढिंढोरा पीट रहे हो सोशल मीडिया में तो बाकी के मुसलमानों की बुरी हरकत से शर्मिंदा क्यों नहीं हो? उस जगह एक ही मुसलमान बन्द था जो मानवता में भरोसा रखता था। बाकी के सब कायर कालिमा बोल के खुद को बचा रहे थे। *वह क्यों नहीं बोले कि अगर हमारे हिन्दू भाइयों पर गोली चलानी है तो पहले हम पर वार करो? तब हम जानते, तब हम मानते, कि आपके धर्म में भी कुछ इंसानियत बची है। मगर उन्होंने सिर्फ अपना सोचा।
उन धर्मात्माओं ने अपनी जान कालिमा पढ़कर बचा ली। किस से? अल्लाह के बंदे से। खूब मजा आया होगा अल्लाह के उस बंदे को काफिरों की निर्दय हत्या करते हुए। क्यों नहीं आयेगा। अब तो उसे जन्नत मिलेगी। नहीं? मारने वाले मुसलमान बहुत ज्यादा और बचानेवाले बहुत कम थे। क्यों? भारत में हर जगह हिन्दू लोग ज्यादा है। कहीं भी कोई हिन्दू इस तरह का नर संहार कर रहा है क्या? क्या पाकिस्तान में एक अकेली महिला अपने ही देश में इस प्रकार निस्सहाय होकर "मेरे पति को बचालो कह के भागेगी क्या?" क्यों नहीं? वहां के हिन्दू किसी की इस प्रकार हत्या नहीं करते। जब कोई मार ही नहीं रहा है, तो फिर रॉबिन हुड बनके मारने वाले की सलामती के लिए कोई जान क्यों देगा?
हीरो गिरी बंद करो और अपनी आँखें खोलो। देखो कौन निहत्ते बेगुनाह इंसान पर धर्म के नाम पर गोलियों की बरसात कर रहे हैं। इन्हें बंदूक पकड़ना कौन सीखता है? इन्हें ऐसी हरकतें करने के लिए पैसा कहां से मिलता है? क्या इन्हें धर्म की बातें सही तरह से सिखाई जा रही है? अगर इन्हें कुरान की a,b,c,d भी नहीं आती तो यह लोग दाढ़ी बढ़ाकर, दुआ कर कर, अल्लाह के नाम को क्यों पुकार रहे हैं? हिन्दू या मसीही तो ऐसा नहीं करते। मसीह के नाम पर या राम के नाम पर किसी ने किसी बेगुनाह पर ऐसा हमला किया था?
अब तुम कहोगे "गांधीजी" की बात। क्या गांधीजी एक साधारण नागरिक थे? वह तो एक राष्ट्रीय नेता थे और उनका कत्ल भी राजनीति के लिए हुआ था। क्या ये टूरिस्ट लोग राजनीति करने गए थे या क्या वह किसी दल के नेता थे? बर्दाश्त की कोई हद होती है, भाई, अब हम कैसे मान ले कि हिन्दू मुस्लिम हैं भाई भाई। पहले आईना देखिए और अपने कॉम की तरफदारी करने के बदले और हमें कौन सही मुसलमान है और कौन आतंकी है यह समझने की जगह आतंकवाद को अपने धर्म से निकाल बाहर फेंकिए। दुनिया को कब तक बेवकूफ समझोगे?
कौन अच्छा मुसलमान है और कौन नहीं ये हमारी समस्या नहीं, आपकी रची हुई कहानी है। अब बताइए क्या हमास के लोग जिन्होंने इस से भी जिन्होंनी हरकते निहत्ते बेगुनाह इन्सानों पर की थी, वह सही मुसलमान थे या नहीं? फिर उनके लिए यहां धर्मनिरपेक्षित धर्मात्मा पार्टियों को लेके आंदोलन क्यों किया था? क्या हमास के आतंकवादी आपके दूर के रिश्तेदार हैं? दुष्ट की मदद सिर्फ दुष्ट ही करते हैं। जब आप united nations का सहारा लेते हो, तब उसी UN की बात पर अमन क्यों नहीं करते? UN कहता है, "हमास एक आतंकवादी दल है।"
हमें तो बस एक ही धर्म आता है। प्रेम। अब तक भारत सरकार ने मुसलमानों को पूरी नागरिकता के साथ साथ आरक्षण भी दिया। कभी किसी अच्छी चीज की आपको कमी नहीं महसूस होने दी हमारे हिंदुस्तान में। और आप लोगों ने हमे क्या भेट दी? खतना है के नहीं यह जांच जांच कर मासूमों के जीवन का अपहरण किया, निहत्ते इन्सानों पर गोलियां बरसाई और उन्हें मौत के घाट उतर दिया! उनकी औरतों का दिल दुखाया और उनके बच्चों को हमेशा के लिए अनाथ कर दिया। फिर भी आप सोशल मीडिया में बेशर्मी से भारत की सहिष्णुता का मजाक उड़ा रहे हो।
यहां हम नफरत नहीं, एकता चाहते हैं इसलिए चुप हैं। कॉम के नाम पर बदला लेना हमे भी आता है। पर हम आतंकी नहीं बन सकते और ना ही आतंकियों को डिफेंड कर सकते हैं। यह तो मोदीजी हैं इसलिए तुम लोगों का फरेबी नाटक जारी है। जिस दिन हम बन गए प्रधान मंत्री करदेंगे इन ड्रामेबाजों की छुट्टी। भाया मालपानी, शाह और मोदी है इस लिए आजादी से तुम लोग भारत सरकार की निंदा और आतंकियों की महिमा खुल्लम खुल्ला कर रहे हो। में एक मसीही हूं। परंतु इतनी निंदा अगर तुम भारत की करोगे हो तो हम से भी सहन नहीं होगा। मुंह तोड़ जवाब तो पाकिस्तान को मिलेगा मगर जो भी इन आतंकियों की भारत में रक्षा कर रहा है उसकी भी कोई खैर नहीं होगी। आतंकी का मज़हब अब सब जान गए हैं सिवाय आपके जो उसकी तरफदारी कर रहे हो।
हमे मत बताओ कौन सही मुसलमान है और गलत कौन है। हमे यह दिखाओ कि तुम लोगों ने गलत मुसलमानों को कैसे अपनी कॉम से हटाया या निकला है। यह आतंकी भी तो किसी का बेटा या भाई है। उसे ऐसा किसने बनाया है। मोदीजी पर आरोप लगाने से पहले अपने आप से पूछो कितने जनरल कैटिगरी के हिन्दू है जो सताया हुए और गरीब हैं फिर भी आतंकी नहीं बनते। क्यों? भाइयों, आज का दौर ऐसा है। उनकी तो बंदूक की गोली भी हमे मीठी ही लगनी चाहिए, हमारी तो जबान भी उनको कड़वी लगती है। गोली ने जो छेद किए उनसे गहरा घाव आतंकी की मजहबी तहकीकात ने हमारी सोच और आत्मा पर पहुंचाया है। परमेश्वर माफ करे, यही दुआ है।
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