वाह खानग्रेस वाह।

जिसने मासूमों की बेरहमी से हत्या की वह बन रहे है कोतवाल और न्यायाधीश। और जिन के लोगों की जान गई वह बन गए गुनहगार। वाह कांग्रेस के लोगों आपने तो सारी हद ही पार कर दी। आतंकी की आपने निंदा की पर जो इनको आतंकी बना रहें हैं उनको आपने क्या सीख दी? क्या आपने कहा, कड़े शब्दों में, की आतंकी बनाना बंद करो? अरे सारी दुनिया जानती है इनको। पर आपके तो आंखों पर पट्टी बंद गई। अब आप कहते हो मोदीजी दें इस्तीफ़ा। 

क्यों दे मोदी–शाह इस्तीफ़ा? कहा जा रहा है कि मोदीजी ने कुछ एक्शन नहीं लिया। और अगर कोइ बड़ा कदम उठाया होता तो फिर आप क्या कहते? इतने बड़े आतंकी हमले के दौरान भी मोदीजी इंसानियत नहीं भूले। अभी ही पाकिस्तानी लोग भारत से जाने में कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं। ऊपर से पानी भी भारत सरकार ने बंद कर दिया है। इतना एक्शन और मिलिट्री की कारवाही काफी नहीं थी क्या? और क्या पाकिस्तानियों के सर मुंडवाएं? प्रिय कांग्रेस के कार्यकर्ता, यह गंदी राजनीति करना बंद कीजिए। मांगना है तो उमर अब्दुल्लाजी से इस्तीफ़ा मांगिए। 

हिंदुओं को चुन चुन के उन्हीं के देश में गोली बरसा कर मारा गया, मगर उनकी तरफ से बोलने वाला कोई नहीं।  मुसलमान को समझाने वाला कोई नहीं। अगर कोई मारनेवाले हिन्दू की तरफदारी करदे तो वह हो गया गुनहगार। अगर कोई मुसलमान से पूछे कि तुम लोगों ने ये हत्याएं क्यों की तो वह नफरत फैलाने वाला करार दिया जाता है। और जो आपकी अंधी धर्म निरपेक्षता का प्रचार करे उसकी आप करते हो सराहना। कब तक चलेगा यह नाटक? आप ढोंगी हो और ढोंगी ही रहोगे। इतना बड़ा हादसा हो गया और अभी भी आपने इस्लामिक टेररिज्म का इजहार तक नहीं किया। 

दो साल पहले ऐसे ही कुछ इंसानियत के दुश्मनों ने इजरायल पे हमला किया था। उनकी औरतों की इज्जत लूटी, उनके निहत्ते नागरिकों की गोली मारके हत्या की, और कई लोगों को बंदी बनाकर गाजा ले गए। परन्तु आप को हत्यारे ठीक लगे। जब पूरी दुनिया ने और यूनाइटेड नेशन्स ने भी इस हरकत की कड़ी निंदा की आपके लोग "हमास, हमास" कह के जुलूस निकल रहे थे। बेशर्मी की भी कोई सीमा होती है। दुनिया भर के आतंकियों की तरफदारी करना बंद कीजिए। आंखें खोलिए। वास्तव में इस्लामोफोबिया नहीं बल्कि हिंदुफोबिया और इजरायलफोबिया हो रहा है।

पहले तो आप इस हत्या कांड को बारीकी से समझिए। यह केवल एक राष्ट्र पर किया गया हमला नहीं बल्कि एक संस्कृति के लोगों पर किया गया वार है। जिसने करवाया है वह यह चाहता है कि भारत में धर्म के नाम पर दंगे हों। जब मोदीजी का शासन चल रहा है, वह ऐसे दंगे क्यों चाहेंगे? और तो और, आतंकी ने लड़की से कहा जा के मोदीजी से कह देना हमने तुम्हारे पति के साथ क्या किया। यह धमकी उनको महंगी पड़ेगी। लेकिन अंधे धर्म निरपेक्षिता के प्रचारकों को अभी भी समझ नहीं आया कि आतंकी किसको दुश्मन मानता है। अरे कायरों आतंकी सिर्फ मोदीजी से घबराता है, आपसे नहीं।

दूसरी बात, आप तो आतंकी के दोस्तों का फिलिस्तीन में समर्थन कर रहे हो तो वह आपसे भला दुश्मनी क्यों करेगा? आज पाकिस्तान से बयान आया कि यह घातक आतंकी नहीं बल्कि स्वतंत्रता सैनिक हैं। क्यों? आपने भी तो फिलिस्तीन के हमास आतंकियों को स्वतंत्रता के लिए लड़ने वाले सैनिक ही बताया था? इस बात से हम क्या समझे? क्या यह खूंखार आतंकवादी स्वतंत्रता सैनिक है या आतंकवादी? आपका वास्तव में क्या मानना हैं? क्या कश्मीर भारत का अंग है या फिर विवादित जमीन। अगर भारत का अंग है तो यह आतंक वादी ठहराए जाएंगे और अगर नहीं है तो क्या यह लोग भी गांधीजी जैसे स्वतंत्रता सैनिक कहलाएंगे? ऐसी खूनी लड़ाई में गांधीजी की अहिंसा भूल कर क्या आप इनका समर्थन कर पाएंगे?

तीसरी बात, जो आतंकी को पनाह दे रहे थे और शायद पैसों से और हत्यारों से उनकी मदद भी कर रहे थे उनकी तो आप कुछ दिन पहले तक लोक सभा और राज्य सभा में वकालत कर रहे थे। फिर वह आपसे दुश्मनी क्यों करेंगे? चौथी बात जब कश्मीर यूनियन टेरेटरी था तब ऐसा कोई हमला नहीं हुआ। अब क्या बदलाव आ गया की आतंकी फिर से जाग गया? उसका नाम है सेकुलर (सूडो सेकुलर) राज्य सरकार। यह सब जानते हैं पर संघी या भक्त कहलाए जाने से डरते हैं और चुप रहते हैं। 

मोदीजी से हिस्तेफा मांगने से पहले अपने गिरेबान में झांक के देखिए। किस प्रकार से अपने हिंदुओं को कांग्रेस से अलग कर दिया। पहले तो जनरल कैटिगरी के गरीब हिंदुओं के साथ आप लोगों ने वोट बैंक राजनीति के लिए गद्दारी की। आज भी सिर्फ मजहब के फरक से कई क्षात्रों को सरकार से कोई सहायता नहीं मिलती। उनकी गलती क्या है? यह की वह गलत धर्म में पैदा हो गए? धर्म के आधार पे और जाती के आधार पे आरक्षण देना ही उनके खिलाफ आप लोगों की रची हुई साजिश है। ताकि जनरल कैटिगरी का गरीब हिन्दू लड़का या लड़की अपनी जिंदगी में कभी आगे न आ सकें। 

आप लोग हमे आरक्षण से ही हिंदू-मुसलमान में बांट देते हो। उसके बाद जब मुसलमान आतंकवादी हमे हमारे ही घर में मारता है आप हमे सलाह देते हो कि कैसे देश प्रेम और भाईचारा निभाना चाहिए। क्या यह सब उन पर लागू नहीं? क्या वह मुसलमान लोग भारत में हमारे ततुल्य नागरिक नहीं? सारी जिम्मेदारियां हमारी, सारे अधिकार उनके। यह क्या बात हुई खानग्रेस के भाई? आर्थिक अवस्ता के आधार पर भी आरक्षण दिया जा सकता है। ऐसे में तो हिन्दू मुसलमान की बात ही नहीं पैदा होगी। फिर आप ऐसा करने से क्यों झिझकते हो? क्या आपके मुसलमान वोट कम हो जायेंगे? 

और आप हमे ही नहीं मुसलमान भाइयों को भी हिंदुओं के साथ मिल झुल के रहना सिखा सकते हो। उनको बोलो पाकिस्तान को नहीं बल्कि क्रिकेट में भारत को समर्थन दे। उनको बोलो हिंदुओं और मसीही लोगों से प्रेम करे, नफरत नहीं। बंगाल में तीन बेगुनाह हिन्दू मारे गए। क्या वह वक्फ के नियम बदलने में सक्षम थे? फिर उन्हें क्यों मारा? आपने उसके बारे में पूछताछ क्यों नहीं की? क्या इसलिए कि वह फिलिस्तीन के मुसलमान नहीं बल्कि बंगाल के हिन्दू थे? अमेरिका में आप ने क्या इन बातों का जिक्र किया? बिल्कुल भी नहीं। फिर हम कैसे मानें कि आप हमारा भी भला चाहते हो? 

तो पहले आप राज्य सरकार से हिस्तीफा मांगिए। बाद में मोदीजी के काम पे टिप्पणी कीजिए। अब जब हिंदुस्तान बांग्लादेशी और पाकिस्तानी घुसपेटियों को निकाल बाहर करेगा तब उनके लिए आंसू मत बहाइयेगा। आतंक की जड़ तो ऐसे लोग हीं हैं जिन से भारत के मुसलमान भी तंग आ चुके हैं। हिंदुस्तान अब ऐसी कोई भी बात बरदाश्त नहीं करेगा जिस से हमारे देश की छवि दुनिया के सामने नीलाम हो। अगर आप भारत को और सरकार को दूसरे देशों में जा कर बिना कोई सबूत के नीचा दिखाओगे तो हमे अच्छा नहीं लगेगा। यहां कोई minority rights का उल्लंघन नहीं कर रहा है। और जो भी अधिकार अनुचित हैं उन्हें तो हटाना ही होगा। 

जय मसीह की। भारत की जय।

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